(गणेश चतुर्थी 2021)वर्ष 2021 मे गणेश चतुर्थी की शुभ तिथि 10 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन चतुर्थी तिथि शुक्रवार 10 सितंबर 2021 को 12:18 को प्रारंभ होने वाली है और शुक्रवार 10 सितंबर 2021 को 21:57 को समाप्त होने वाली है।

गणेश चतुर्थी का महत्व –
श्री गणेश जी के जन्म के उपलक्ष्य मे भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चौथ को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी के पर्व को दस दिन तक मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इस पर्व को दो दिनों तक ही मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालू दस दिन के लिए गणपती जी की मुर्ति अपने घर मे स्थापित करते है। भारत एक सांस्कृतिक और अध्यात्मिक परंपराओसे परिपूर्ण देश है इसलिए अलग अलग राज्यो मे गणेश जन्मोत्सव मनाने की अलग अलग मान्यताएं और परंपराए है।(गणेश चतुर्थी 2021)
वर्ष की सभी चतुर्थीयों मे गणेश चतुर्थी श्रेष्ठ है। भारत देश मे गणेश चतुर्थी के दिन विभिन्न राज्यों मे भिन्न भिन्न प्रकार से गणेश जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी के भक्त उनके जन्म के उपलक्ष्य मे व्रत रखते है। इस पवित्र त्योहार को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन विधी के अनुसार श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से सुख और समृद्धी प्राप्त होती है(गणेश चतुर्थी 2021)। 19 सितंबर 2021 को अनंत चतुर्दशी की तिथी है,इस दिन गणपती जि की मूर्ती का विसर्जन किया जायेगा|
गणेश चतुर्थी 2021 पूजा विधी –
गणेश चतुर्थी 2021 की पुजा का शुभ मुहूर्त मध्याह काल मे 11:03 बजे से 1:33 बजे तक है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन इन देढ घंटो मे ही पुजा सम्पन्न करनी चाहिए।(गणेश चतुर्थी 2021)
1.गणेश चतुर्थी के दिन ब्रम्हमुहूर्त मे उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
2.गणेश चतुर्थी के दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
3.घर मे गणेश जी की मुर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
4.मुर्ति को स्थापित करने के बाद उसकी विधी के अनुसार पुजा करे।
5.गणपती जी के सामने कलश स्थापन करें।
6.धूप,पुष्प,चंदन से गणेश जी की पुजा करें,इससे घर के वातावरण में सात्विकता आती है।
7.गणेश जी को दुर्वा अर्पन करे और पंचामृत बनाए।
8.अंत मे गणेश जी की आरती करें और भक्तों में प्रसाद का वितरण करें।
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नही देखना चाहिए।इससे उस व्यक्ति को अशुभ फल की प्राप्ति होगी|ऐसा ज्योतिषशास्त्र मे लिखा है।हमारे सनातन धर्म के हर एक मान्यता के पीछे वैज्ञानिक और अध्यात्मिक कारण होते है।उसीप्रकार इस मान्यता के पीछे भी कई कारण है।(ganesh chaturthi in hindi)

गणेश चतुर्थी की कथा –
एक दिन जब माता पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी तब उन्होंने भगवान शिव के वाहन नंदी को बाहर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने नंदी को बताया की चाहे कोई भी हो उसे अंदर आने की अनुमति ना देना।परंतु जब कुछ समय बाद शिवजी वहांपर पहुंचे तो उन्होंने नंदी से कहा की वो अंदर जाना चाहते है। तब नंदी ने शिवजी के आदेश को मानकर उनको अंदर जाने दिया।(गणेश चतुर्थी 2021)
नंदी की इस बात से माता पार्वती क्रोधित हो गयी। माता पार्वती को यह बात समझ आ गई की अब उन्हें ऐसा कोई चाहिए जो उनकी आज्ञा का दृढता से पालन कर सके और उन्हीं से निष्ठावान रहे। फिर माता पार्वती ने अपने शरीर के हल्दी को एकत्रित करके एक मनुष्य की आकृति का निर्माण किया।उस मनुष्य आकृति माता पार्वती ने जिवित किया। इस तरह से जन्म हुआ गणपती जी का।माता पार्वती ने गणपती जी को अपना पुत्र घोषित किया।(गणेश चतुर्थी 2021)
शिवजी और गणेश जी के बीच द्वंद्व –
हररोज की तरह एक दिन माता पार्वती स्नान करने जा रही थी।उससे पहले उन्होंने गणेज जी को कहा की किसी को अंदर मत आने देना। कुछ समय बाद शिवजी वहांपर आए। शिवजी ने गणेश से कहा की वो अंदर जाना चाहते है। परंतु गणेश जी दृढता से माता पार्वती की आज्ञा का पालन कर रहे थे। इसलिए उन्होंने शिवजी को स्पष्ट शब्दों मे अंदर जाने के लिए मना किया। इससे शिवजी क्रोधित हो उठे। फिर शिवजी ने अपने गणों को गणेश जी को दंड देने का आदेश दिया। श्री गणेश जी ने अकेले उन गणों को युद्ध मे हराया। फिर शिवजी स्वयं श्री गणेश जी को दंड देने के लिए आगे आए। दोनो के बीच द्वंद्व हुआ और उसमे शिवजी ने श्री गणेश के मस्तक को उनके धड से अलग कर दिया।(ganesh chaturthi in hindi)
जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो वो अत्यंत क्रोधित हो गयी। सभी देवतागण माता पार्वती के क्रोध को शांत करने लगे। माता पार्वती ने देवताओ को गणपती जी को पुन: जिवित करने का आदेश दिया। इसके बाद शिवजी ने माता पार्वती से माफी मांगी। शिवजी ने देवताओ को आदेश दिया की जाकर ऐसे प्राणी का मस्तक लेकर आए जिसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो।देवताओ को सबसे पहले हाथी दिखा जिसका मुख उत्तर दिशा की ओर था।
हाथी के मस्तक को गणेश जी के धड पर स्थापित करने के लिए विद्याओ का प्रयोग किया गया। इस प्रकार गणेश जी के धड पर हाथी का मस्तक सफलतापूर्वक स्थापित हुआ।(गणेश चतुर्थी 2021)
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